मंदिर में विवाह उत्सव
मंदिर में विवाह को एक पवित्र और धार्मिक समारोह के रूप में मनाया जा सकता है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण और आदर्शित विधि है जिसमें विवाह संस्कार को धार्मिकता, परम्परा, और समाजिक सामूहिकता के साथ सम्मिलित किया जाता है। यहाँ कुछ मुख्य कदम हैं जो मंदिर में विवाह के आयोजन में लिए जाते हैं:
शादी की तारीख का चयन: पहला कदम शादी की तारीख का चयन करना होता है। विवाह की तारीख को चुनते समय, यह ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि मंदिर के उपलब्धता को भी ध्यान में रखें।
पंडित की पुष्टि: विवाह की तारीख के बाद, पंडित को आगामी उत्सव की तारीख के लिए निमंत्रित किया जाता है। पंडित से मिलकर शादी के मुहूर्त, मंगलासन आदि की पुष्टि की जाती है।
विवाह कार्यक्रम की योजना: विवाह के कार्यक्रम की योजना तैयार की जाती है, जिसमें समस्त आयोजन, पूजा, मंत्र, और अन्य आवश्यक विवरण शामिल होते हैं।
विवाह समारोह: विवाह के दिन, विवाह समारोह मंदिर में आयोजित किया जाता है। इसमें विवाहित जोड़े की पूजा, मंत्रों का पाठ, विवाह के रस्मों का पालन, आदि शामिल होता है।
प्रसाद वितरण: विवाह के समारोह के अंत में, प्रसाद वितरण किया जाता है, जिसमें भक्तों को आशीर्वाद मिलता है।
आशीर्वाद और बधाई: समारोह के अंत में, विवाहित जोड़े को समाज के सदस्यों के द्वारा आशीर्वाद और शुभकामनाएं दी जाती हैं।
मंदिर में विवाह का आयोजन धार्मिकता और समाज में एकात्मता को संवारने का अद्भुत उपाय है और यह शादी को एक पवित्र और आदर्शित दृश्य में रूपांतरित करता है।
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